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मानसिक और शारीरिक बीमारियों से बचने का राजयोग एक कवच कुंडल हैं।

राजयोग द्वारा अपने कर्मेन्द्रियों पर संयम कर कर्म में कुशलता से सकारात्मक चिंतन, सकारात्मक वृति और दृष्टिकोण की उपलब्धि होती हैं जिससे हम व्यर्थ से बच सकते हैं । राजयोग के अभ्यास द्वारा तनाव मुक्त बन हम अनेक मानसिक और शारीरिक बीमारियों से स्वंम को बचा सकते हैं। मानसिक और शारीरिक बीमारियों से बचने का राजयोग एक कवच कुंडल हैं। उक्त उदगार माउंट आबू राजस्थान से प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय से आये हुए ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहे वे यहा स्थानीय ब्रह्माकुमारीज राजयोग सेवाकेंद्र नेपियर टाउन द्वारा शिव स्मृति भवन में आयोजित दो दिवसीय राजयोग साधना कार्यक्रम में एकत्रित हुए ईश्वर प्रेमी भाई बहनों को राजयोग साधना का जीवन में महत्व विषय पर बोल रहे थे |
भगवान भाई ने राजयोग की विधि बताते हुए कहा कि स्वंम को आत्मा निश्चय कर चाँद, सूर्य, तारांगण से पार रहनेवाले परमशक्ति परमात्मा को याद करना, मन-बुद्धि द्वारा उसे देखना, उनके गुणों का गुणगान करना ही राजयोग हैं । राजयोग के द्वारा हम परमात्मा के मिलन का अनुभव कर सकता हैं । उन्होनें कहा की राजयोग के अभ्यास द्वारा ही हम काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, घृणा, नफरत आदि मनोविकारों पर जीत प्राप्त कर जीवन को अनेक सद्गुणों से ओतप्रोत वा भरपूर कर सकते हैं । राजयोग के द्वारा मन को दिशा निर्देशन मिलती हैं जिससे मन का भटकना समाप्त हो जाता हैं।
राजयोगी भगवान भाई ने अपने अनुभव के आधार से बताया की राजयोग के अभ्यास से विपरीत परिस्थिति में भी सकारात्मक चिंतन के द्वारा मन को एकाग्र किया जा सकता है। उन्होनें कहा कि वर्तमान की तनावपूर्ण परिस्थितियों में मन को एकाग्र और शांत रखने के लिए राजयोग संजीवनी बूटी की तरह काम आता हैं | उन्होनें कहा कि राजयोग के अभ्यास द्वारा सहनशीलता, नम्रता, एकाग्रता, शांति, धैर्यता, अंतर्मुखता ऐसे अनेक सद्गुणों का जीवन में विकास कर सकते है । राजयोग द्वारा ही मन की शांति संभव है। उन्होनें बताया की राजयोग के अभ्यास से अतींद्रिय सुख की प्राप्ति होती हैं । जिन्होनें अतींद्रिय सुख की प्राप्ति कर ली उनको इस संसार के वस्तु, वैभव का सुख फीका लगने लगता हैं ।
उन्होंने कहा कि राजयोग के द्वारा हम अपने इंद्रियों पर सयंम रखकर अपने मनोबल को बढा सकते हैं । राजयोग द्वारा आंतरिक शक्तियाँ और सद्गुण को उभार कर जीवन में निखार ला सकते हैं |उन्होंने कहा कि राजयोग द्वारा मानसिक, शारीरिक और बौध्दिक विकास होता है | राजयोग द्वरा ही मन का भटकना बंद होता है जिससे हम मानसिक शांति का अनुभव कर सकते है |
स्थानीय ब्रह्माकुमारीज सेवाकेंद्र नेपियर टाउन कि प्रभारी बी के भावना बहन जी नें राजयोग को अपनी दिनचर्या का अंग बनाने की अपील किया उन्होंने कहा वर्तमान की विपरीत परिस्थितियों में राजयोग हमे तनाव मुक्त रखने में बहुत ही मददगार बनेगा |
कार्यक्रम के अंत बी के भगवान भाई ने राजयोग का अभ्यास कर सभी को शांति का अनुभव कराया |
राजयोग साधना कार्यक्रम की शुरुवात दीप प्रज्वलन कर किया गया |
इस राजयोग साधना कार्यक्रम में सहनशक्ति, परचिन्तन से बचना , ईश्वरीय श्रीमत का का पालन, संस्कार परिवर्तन, योग कि विधि, सकारात्मक चिन्तन आदि विभिन्न विषयों पर चर्चा किया गया |
इस कार्यक्रम में आस पास के काफी भाई बहनों ने लाभ लिया | इस कार्यक्रम में बी के वर्षा बहन भी उपस्थित थी |
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नशा मुक्ति अभियान

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दादी रतन मोहनी की श्रद्धांजलि सभा में जुटे धर्म वेत्ता

जन्म और मृत्यु के बीच जो सुख-दुख, हानि-लाभ, अच्छा-बुरा, अनुकूल-प्रतिकूल आता है, उसमें सम रहना ही आध्यात्म है। ज्ञान जी न तो खुशी आने पर आपा खोते न ही दुख आने पर हायतौबा मचाते। वे साक्षी भाव से सब कुछ प्रभु की लीला समझ कर देखते हैं। ये बात स्वामी पगला नन्द जी ने कही ने आज शिव स्मृति भवन भंवरताल में कही। यहां ब्रम्हाकुमारी की मुख्य प्रशासिका स्व. दादी रतन मोहिनी जी के अवसार पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन था। समारोह में संत-महात्मा, चिंतक-विचारक रहित सभी वर्ग के लोग थे। स्वामी आसनदास ने कहा कि जिनका जीवन प्रेरणा बनता है, वे महान होते हैं। दादी ऐसी ही थीं। इस मौके पर बीके भावना बहन ने कहा कि दादी रतन मोहनी जी गुणों की खान थी, जिन्होंने वाणी की बजाय अपने आचरण से संसार को शांति और आध्यात्म का संदेश दिया।
याद की गई दादी की सभा
इस अवसर पर डॉ एस के पांडे और श्यामजी रावत, डा पुष्पा पांडे ने दादी जी के सानिध्य में संस्कारधानी में हुई उनकी आध्यात्मिक सभा को याद करते हुए कहा कि उस दिन दलित संबंधी समस्याआें को लेकर भारत बंद का आव्हान किया गया था। जबलपुर बंद को व्यापक समर्थन मिला था। बावजूद इसके मदन महल स्थित दद्दा परिसर में आयोजित उनकी आध्यात्मिक सभा में शामिल होने पूरे प्रदेश के लोग आए थे। ये दादी का प्रताप था।
ज्ञान संजीवनी से फैला प्रकाश
भावना बहन ने कहा कि दादीजी जबलपुर में माहाकोशल की ईश्वरीय सेवाओं के विस्तार की निमित्त बनीं। उन्होंने 9 अप्रैल 2018 को ही धनवंतरी नगर स्थित ज्ञान संजीवनी भवन का उद्घाटन किया था। इस भवन से पूरे महाकोशल में ज्ञान का आलोक फैला। यहां पूरे देश से साधना करने राजयोगी भाई बहन समय-समय पर आते हैं। डॉ श्यामजी रावत ने कहा कि दादीजी मानवीय मूल्य और सेवा-तपस्या, ज्ञान धारणा के प्रचार को समर्पित रहीं। सभी ने दादी जी के चित्र पर पुष्पांजलि दी।
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जगद्गुरु डॉक्टर स्वामी नरसिंह देवाचार्य जी महाराज का सम्मान

प्रयागराज महाकुंभ में नरसिंह मंदिर की पीठ पर नरसिंह पीठाधीश्वर के जगद्गुरु डॉक्टर स्वामी नरसिंह देवाचार्य जी महाराज महाराज के पद पर प्रतिष्ठित होने पर ब्रह्मा कुमारी परिवार के द्वारा राजयोगिनी बीके ब्रह्माकुमारी भावना दीदी के द्वारा सम्मान किया गया। साथ ही बी के बी के डॉक्टर पुष्पा पांडे,ब्रह्मा कुमारी वर्षा दीदी, ब्रह्मा कुमार संतोष भाई एवं ब्रह्मा कुमार परेश भाई भी उपस्थित रहे।
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